सरकारें विकास की बातें करती
हैं लेकिन सरकारी विभाग उनके दावों की धज्जियां उड़ा कर रख देते हैं। एक बानगी
देखिए- भारतीय डाक की रजिस्ट्रड सेवा से एक पत्र मैंने 18 फरवरी को नोएडा हेड ऑफिस
से इलाहाबाद के लिए भेजा। यह पत्र (RU603983300IN) आज तक अपने पते पर नहीं पहुंचा। 21 फरवरी से
लगातार एक ही जगह पर अटका है। इसमें एक परीक्षा के लिए आवेदन था। 25 फरवरी तक
इलाहाबाद पहुंचना था और भारतीय डाक विभाग तीन दिन में पहुंचाने का दावा करता है। विभाग
की वेबसाइट का स्क्रीन शॉट पोस्ट कर रहा हूं। सवाल यह कि इस व्यक्तिगत नुकसान की
भरपार्इ कौन करेगा? तय तिथि से सात दिन के अंदर आवेदन भेजा था। क्या नोएडा से
इलाहाबाद के लिए यह समय कम था? कोई न्यूयॉर्क या लंदन तो था नहीं। अगर आप भी ऐसे हालात
से दो-चार हुए हैं तो इसकी निंदा कीजिए, सरकारी विभागों की ढिठाई में शायद कुछ कमी
आ सके।
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