Sunday, August 3, 2014

प्रथम विश्व युद्ध में प्रेम का पत्र

वर्ष 2014 प्रथम विश्व युद्ध का शताब्दी वर्ष है। यह युद्ध 28 जुलाई 1914 से  11 नवंबर 1918 तक चला था। दुनिया को विनाश की ओर झोंकने की पहली सीढ़ी के रूप में इस युद्ध ने न भूलने वाली कड़वी यादें दीं। इस दौरान कई घटनाएं ऐसी भी सामने आईं जो रूमानी एहसासा कराती हैं। उस दौर में एक युवा सैनिक ने अपनी प्रेयसी को एक प्रेम पत्र लिखा था। यह पत्र बताता है कि प्रेम की अनुभूति जंग के मैदान में जाने वाले को भी पुलकित कर देती है।


भारी पड़ेगा दूसरे बैंक के एटीएम से पैसा निकालना

अब बैंक शहरी इलाकों में रहने वालों के लिए एटीएम सेवा महंगी करने जा रहे हैं। अभी तक दूसरे बैंक के एटीएम से प्रति माह पांच पर तक पैसे निकालने की सुविधा है। इसके बाद पैसे निकालने पर हर निकासी 20 रुपये तक का शुल्क देना पड़ता है। लेकिन अब रिजर्व बैंक शहरी इलाके में दूसरे बैंक के एटीएम से केवल दो मुफ्त निकासी की सुविधा देने पर विचार कर रहा है। यानी एक और तरीके से जेब पर निशाना साधा जा रहा है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों के लिए ऐसा करने का अभ्‍ाी कोई विचार नहीं है।

Sunday, June 22, 2014

जग के सारे ऐश लिए

जग के सारे ऐश लिए
जोगी वाला वेश लिए।
बेच रहे हैं हम मरहम
मन में भारी ठेस लिए।
करते काली करतूतें-
बाबा उजले केश लिए।
हमने हुक्म चलाया पर-
गुरुओं के आदेश लिए।
सूरज कहकर बहलाते-
जुगनू के अवशेष लिए।
जूठे बेरों से शबरी-
तुमने अवध-नरेश लिए।।
 
- सलीम खां फरीद 

Monday, June 2, 2014

ऑनलाइन ओपीडी रजिस्ट्रेशन और आईएएस

नई दिल्ली के अस्पतालों में आज से ऑनलाइन ओपीडी रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है। स्वास्‍थ्य विभाग की वेबसाइट से र‌जिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।
दिल्ली के एम्स में भी ऑनलाइन ओपीडी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।
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आईएएस परीक्षा में बैठने के लिए आयु सीमा अब 21 से 32 साल हो गई और चार की बजाय कुल छह अवसर मिलेंगे।



(साभार- अमर उजाला, 3 जून, 2014)

Saturday, May 24, 2014

यूपी के 80 सांसद

(साभार- अमर उजाला, 17 मई, 2014)



फलक पर नमो


नमो की जीत और उनकी फलक तक पहुंचने की कहानी।















     

(साभार- अमर उजाला, 17 मई, 2014)

ऐसे होती है वोटों की गिनती

(साभार- अमर उजाला, 16 मई, 2014)

मानोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य

मानोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लोकसभा चुनाव के दौरान अमर उजाला को दिया इंटरव्यू।

(साभार- अमर उजाला, 11 मई 2014)

Friday, May 23, 2014

लोकसभा चुनाव में 464 पार्टियां, 8251 उम्मीदवार

वर्ष 2009 के मुकाबले इस बार के लोकसभा चुनाव में 101 अधिक राजनीतिक दलों ने भाग लिया और कुल 8251 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे जो पिछले चुनाव से 181 अधिक हैं। पिछले बार 7,16,98,510 मतदाता थे तो इस बार 83,41,01,479 मतदाता थे। इस बार 6 राष्ट्रीय दल 39 राज्य स्तरीय दल तथा 419 गैर मान्यता प्राप्त दल थे जबकि पिछली बार 7 राष्ट्रीय दल 34 राज्य स्तरीय दल तथा 332 गैर मान्यता प्राप्त दल थे। आम चुनाव 2014 से पहले देश में कुल 1687 पंजीकृत दल थे जिनमें 6 राष्ट्रीय दलों के अलावा 47 राज्य स्तरीय दल तथा 1634 गैर मान्यता प्राप्त दल शामिल थे। 2009 में पंजीकृत दलों की कुल संख्या 1060 थी। 1952 में 1874 उम्मीदवारों ने 489 सीटों के लिए चुनाव लड़ा था जो धीरे-धीरे 1996 में 13,952 हो गए। 1998 में 4750, 1999 में 4648, 2004 में 5435 उम्मीदवार मैदान में थे जो 2009 में बढ़कर 8070 हो गए। पिछले चुनाव में 41,72,36,311 मतदाताओं ने मतदान किया तो इस बार 55,38,01,801 मतदाताओं ने वोट डाले।

Thursday, March 27, 2014

कलाकारों का कलापुर यानी रघुराजपुर


भारत एक ऐसा देश है जहां के चप्पे-चप्पे पर कला के दर्शन होते हैं। यहां के कलाकारों की तूती दुनिया भर में बोलती है। अफसोस इस बात का है कि इन कलाकारों को उनकी प्रतिभा का उचित मोल नहीं मिलता। बड़े-बड़े बिजनेसमैन उनकी कला का व्यापार करते हैं। उड़ीसा का एक इलाका रघुराजपुर भी कुछ ऐसे ही दौर से गुजर रहा है। यहां के कलाकारों की कृतियां दुनियाभर में बिकती हैं लेकिन वे खुद अभावों की जिंदगी बसर कर रहे हैं। ये सारा काम मशीनों की बजाए हाथ से करते हैं। यह इनकी खासियत है। यहां एक लिंक दे रहा हूं ताकि इनकी कला आप भी देखें। साथ ही इनका सही हक दिलाने में मदद भी कीजिए। 

https://www.youtube.com/watch?v=Ioa3dcnrEWY,   http://doright.in.

Thursday, March 13, 2014

सहबों को भा रही सियासत

राजनीति में इन दिनों नौकरशाहों और अफसरों की दिलचस्पी कुछ ज्यादा हो गई है। इस पर हमने भी लेखनी चलार्इ....


Wednesday, March 5, 2014

एक कानून की दो तस्वीरें


कानपुर में कानून की खिल्ली   

चुनाव की घंटी बज गई है। शेखचिल्ली ने बताया कि सूबे में समाजवादियों की सरकार है। राममनोहर लोहिया की बातें कही जाती हैं। कानपुर का यह सीन किस समाजवाद की चुगली कर रहा है? यह सबकी समझ में आ रहा है। सफाई भी कितनी भी दी जाए झूठ के पैर नहीं होते और सच सबकी समझ में आता है। पूरे प्रदेश में डॉक्टर की हड़ताल से पचास से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। सरकार है कि उन्हें न्याय तक नहीं दे पा रही। दूसरी ओर नेता जी कह रहे हैं कि उन्हें पीएम बना दिया जाए।
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दिल्ली में कानून का इकबाल

खुद को बड़ा देशभक्त कहने वाला शख्स जब कानून के शिकंजे में आया तो पहले उसने माफी मांगी। फिर उसने हाथ जोड़े। कहा कि उसकी कोर्इ शर्त भी नहीं। क्या अदालत के सामने भी कोर्इ शर्त चलती है? दस्तूर भले नहीं था लेकिन मौका जरूर था, एक शख्स ने इसका पूरा फायदा उठाया। उसने इनके चेहरे पर स्याही फेंक दी। अदालत शब्दों से बुने गए किसी भी खूबसूरत झांसे में नहीं आर्इ। इससे न केवल कानून का इकबाल कायम हुआ बल्कि यह भी संदेश गया कि गरीबों के हक की बात कहीं तो सुनी जाती है। इस देश में दूसरों की चमड़ी से खुद के लिए दमड़ी कमाने वाले कम नहीं है।

डाक विभाग का कारनामा !

सरकारें विकास की बातें करती हैं लेकिन सरकारी विभाग उनके दावों की धज्जियां उड़ा कर रख देते हैं। एक बानगी देखिए- भारतीय डाक की रजिस्ट्रड सेवा से एक पत्र मैंने 18 फरवरी को नोएडा हेड ऑफिस से इलाहाबाद के लिए भेजा। यह पत्र (RU603983300IN) आज तक अपने पते पर नहीं पहुंचा। 21 फरवरी से लगातार एक ही जगह पर अटका है। इसमें एक परीक्षा के लिए आवेदन था। 25 फरवरी तक इलाहाबाद पहुंचना था और भारतीय डाक विभाग तीन दिन में पहुंचाने का दावा करता है। विभाग की वेबसाइट का स्क्रीन शॉट पोस्ट कर रहा हूं। सवाल यह कि इस व्यक्तिगत नुकसान की भरपार्इ कौन करेगा? तय तिथि से सात दिन के अंदर आवेदन भेजा था। क्या नोएडा से इलाहाबाद के लिए यह समय कम था? कोई न्यूयॉर्क या लंदन तो था नहीं। अगर आप भी ऐसे हालात से दो-चार हुए हैं तो इसकी निंदा कीजिए, सरकारी विभागों की ढिठाई में शायद कुछ कमी आ सके।