पिछले दिनों इंडिगो की फ़लाइट से मुंबर्इ जाना हुआ। उड़ान के दौरान विमान में कम दबाव के चलते पैदा हालात में कुछ यात्रियों को घबराहट होने लगी। उनमें मेरी पत्नी भी शामिल थी। चूंकि विमान में उड़ान के दौरान ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है और उसमें एसी भी चलती है तो यह माहौल कुछ लोगों का सूट नहीं करता। इस माहौल में मेरी पत्नी को वोमेटिंग हो गई। विमान परिचारिकाओं (एयर होस्टेस) ने न केवल आगे बढ़कर मदद की बल्कि एक परिचारिका गर्म पानी भी ले आई। उन्होंने कहा कि कोई भी मदद चाहिए तो कहनें में न हिचकिचाएं। यात्रा की समाप्ति पर जब मैंने उनसे डस्टबिन के बारे में पूछा ताकि उसमें वोमेटिंग वाले बैग फेंक सकूं तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- सर दैट़स ऑवर ड़यूटी। इसके बाद उन्होंने खुद प्लेन की फर्श साफ करते हुए वह बैग डस्टबिन में फेंक दिया।
यह अनुभव इसलिए शेअर कर रहा हूं कि हवा में हॉस्पिटेलटी का ऐसा व्यवहार जमीन पर कभी-कभार ही देखने को मिलता है। सरकारी दफ़तरों का हाल किसी से छिपा नहीं है। वहां तो कहने-सुनने और पूछने के बाद भी लोग टरकाउ रवैया ही अपनाए रहते हैं। एक खास अनुभव यह भी रहा की वापसी के समय उड़ान के फर्स्ट क्लास ऑफिसर राजीव प्रताप रूडी थे। जी हां, वही रूडी जो भाजपा के नेता भी हैं। उन्होंने यात्रा के दौरान कई रोचक जानकारियां दीं।
जीवन में किसी के भी द्वारा किया गया अच्छा व्यवहार हमेशा याद रहता है। हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन ने कई लाभकारी घोषणाएं की हैं। सवाल यह कि क्या मौजूदा सेवाएं तत्परता के साथ प्रदान की जा रही हैं। मेरी एक चेकबुक मुझे तीन महीने से भी ज्यादा समय मिली। यही नहीं एसएमएस अलर्ट की सेवा लेने के बावजूद एसएमएस नहीं आते। जबिक एसबीआई अप्रैल माह से एसएमएस अलर्ट सुविधा के लिए पांच रुपये का शुल्क प्रति माह ले रहा है।