जग के सारे ऐश लिए
जोगी वाला वेश लिए।
बेच रहे हैं हम मरहम
मन में भारी ठेस लिए।
करते काली करतूतें-
बाबा उजले केश लिए।
हमने हुक्म चलाया पर-
गुरुओं के आदेश लिए।
सूरज कहकर बहलाते-
जुगनू के अवशेष लिए।
जूठे बेरों से शबरी-
तुमने अवध-नरेश लिए।।
- सलीम खां फरीद